भारतीय दंड संहिता ( IPC ) की धारा 323 स्वेछा से उपहति कारित करने के लिए दंड का प्रावधान करती है। ये धारा अपेक्षाकृत मामूली अपराधों तक ही सीमित है। धारा 319 जो उपहति को परिभाषित करती है उसके लिए दंड का प्रावधान धारा 323 में किया गया है।. IPC की धारा 323 शारीरिक चोट से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। इस धारा के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर शारीरिक चोट पहुँचाता है, लेकिन वह चोट गंभीर नहीं होती, तो उसे "साधारण चोट" कहा जाता है। यह धारा उन मामलों में लागू होती है, जब चोट मामूली हो, लेकिन फिर भी यह जानबूझकर दी जाती है।. IPC धारा 323 के तहत दंड→. भारतीय दंड संहिता की धारा 323 में "चोट" (Injury) किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के शारीरिक दर्द (Physical pain), चोट या नुकसान के बारे में बताया गया है। इस प्रकार के मामलों में मामूली चोटें (Minor injuries) शामिल हो सकती हैं, जैसे खरोंच, हल्की चोट आदि। Section 323 में बताए गए स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध को समझने के लिए "चोट" के मतलब को समझ... धारा 323 आईपीसी भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह उस स्थिति में लागू होती है, जब कोई व्यक्ति जानबूझकर दूसरे को शारीरिक चोट पहुँचाता है। इसमें मामूली चोटें, जैसे खरोंचें या हल्की चोटें शामिल होती हैं। यह अपराध साबित होने पर सजा दी जा सकती है।.